
दलित समाज के जाने वाले सांसद और विधायक अपनी समाज के प्रति जिम्मेदार नहीं
एमएनसी और निजी संस्थानों के साथ एचकेआरएम में आरक्षण लागू हो
करनाल । हरियाणा राज्य कर्मचारी चयन आयोग के पूर्व सदस्य तथा वरिष्ठ कांग्रेस नेता रामशरण भोला ने कहा कि दलित समाज लगातार आर्थिक और सामाजिक तौर पर पिछड़ रहा हैं। उनके लिए सरकारी नौकरियों का बैकलॉग बढता जा रहा हैं। सरकार निजी करण की तरफ बढ़ रही है। उससे दलित समुदाय के युवाओं के लिए नौकरियों के अवसर घट रहे हैं। इसके लिए इस समज के विधायक और सांसद जिम्मेदार हैं। यह लोग अपनी पार्टियों के प्रति जबाब देह हैं लेकिन अपनी समाज के प्रति नहीं। वह आज विषेष रूप से बातचीत कर रहे थे।
उन्होंने कहा कि दलित समुदाय के लोग लोकसभा और विधानसभाओं में सत्ता का मजा लेने के लिए जाते हैं वह अपनी समाज की आवाज नहीं उठाते हैं। उन्होंने संविधान निर्माता डा. अंबेदकर ने कहा कि उन्होंने संसद और विधानसभाओं के साथ सरकार में आरक्षण सत्ता का सुख भोगने के लिए नहीं दिया हैं। यह अवसर समाज के अत्यंत पिछड़े लोगों का जीवन स्तर उठाने के लिए हैं। उन्होंने बताया कि आज शिक्षा मंहगी हो गई हैं। गरीब वर्ग की पहुंच से शिक्षा मंहगी होती जा रही हैं। दलित बर्ग के बच्चों को सुलभ शिक्षा नहीं मिल रही हैं। न्यायपालिका में जजों को कॉलेजियम से लिया जा रहा हैं। यहां दलित को अवसर नहीं मिल पाता हैं।
उन्होंने कहा कि जो लोग सत्ता तक पहुंचते हैं वह अपनी समाज को भूल जाते हैं। दलित और पिछड़े में गरीबी और इनके बीच खाई बढ़ती जा रही हैं। उन्होंने कहा कि दलित और पिछड़ों का सबसे अधिक भला कांग्रेस ने किया हैं। उन्होंने कहा कि आज भी दलित वर्ग कांग्रेस के साथ हैं। उसकी निष्ठा कांग्रेस के साथ हैं। उन्होंने कहा कि कांग्रेस के मौजूदा हालात के लिए निचले स्तर पर संगठन का नहीं होना हैं। उन्होंने कहा कि कांग्रेस की लीडरशिप लोगों तक निचले स्तर पर नहीं पहुंच पा रही हैं। कांग्रेस को आगे ले जाने के लिए जिनके कंधों पर जिम्मेदारी सौंपी हैं वह अपनी जिम्मेदारी नहीं निभा रहे हैं।
उन्होंने कहा कि निजी क्षेत्र के औद्योगिक संस्थानों में, एमएनसी एचके आरएम में आरक्षण लागू किया जाए। उन्होंने कहा कि जब यह सरकार से सुविधाएं लेते है तो यहां पर दलितों औ पिछडों के लिए आरक्षण लागू होना चाहिए। उन्होंने कहा कि आरक्षण के नाम पर शोर ज्यादा मचता हैं उतना मिलता नहीं हैं। यदि मिलता तो दलित और पिछडों की हालात इतनी दयनीय नहीं रहती।

Author: Jarnail
Jarnail Singh 9138203233 editor.gajabharyananews@gmail.com