कलसौरा गांव के भिन्न-भिन्न नशों से ग्रस्त और अब उसे छोडऩे के लिए अपना ईलाज करा रहे लोगों की कहानी है। नशा मुक्ति केन्द्र में दाखिल 26 वर्षीय राहुल बताते हैं कि वे 6-7 साल से स्मैक व चिट्टे का नशा लेने के आदि हो गए थे। इससे उनका घर, जमीन, पैसे और ईज्जत, सब-कुछ दांव पर लग गया। इसी बीच मनोरोग विशेषज्ञ डॉ. मनन गुप्ता उनके गांव में आए और उनसे सम्पर्क करने का मौका मिला। बस फिर क्या था, मन में संकल्प आया कि नशे के नुकसान ही नुकसान है, कोई फायदा नहीं, क्यों न इससे तौबा कर ली जाए।
अपनी कहानी बताते-बताते राहुल के चेहरे पर ढृढ़ इच्छा शक्ति स्पष्ट झलकती दिखाई दी। उसने कहा कि व्यक्ति रास्ते से भटक जाता है, लेकिन वापिस आ जाए तो सब कुछ बीते वक्त की बात हो जाती है, और फिर मनुष्य जीवन दुर्लभ बताया गया है, अच्छे और बुरे कर्मो की पहचान के लिए मनुष्य ही ऐसा प्राणी है, जिसे विवेक की शक्ति प्राप्त है। बाकि जितनी भी योनियां है, उनमें दिमाग तो है, पर विवेक नहीं। इसलिए हर व्यक्ति को अपने विवेक के आधार पर ही अच्छे-बुरे की पहचान कर फैसला लेना चाहिए। राहुल ने बताया कि नशे से उसकी हालत खराब हो गई थी,अब धीरे-धीरे सेहत भी सुधर रही है। अब तो यहां से संकल्प लेकर ही जांउगा कि नशे से हमेशा दूर रहूंगा।

नशा मुक्ति केन्द्र में राहुल की तरह प्रवीन, पंकज, कन्हैया और बिन्दर जैसे युवक भी नशा छोडऩे के लिए अपना ईलाज करवा रहे हैं। इन लोगों से भी बातचीत की गई। इनमें से एक ने कहा कि नशे से उनकी हालत इतनी खराब हो गई थी कि दो कदम चलने में भी चक्कर आ जाते थे। नशा मुक्ति केन्द्र में न आते तो भविष्य क्या होता, इसकी भयावह स्थिति की कल्पना करनी मुश्किल है। युवक ने कहा कि नशे का ईलाज करवाने से अब उनमें काफी साहस आ गया है। उसने कहा कि मन पर काबू कर लेना ही किसी भी समस्या का सबसे बड़ा उपाय है।
इसी बीच नशा मुक्ति केन्द्र के मनोरोग विशेषज्ञ डॉ. मनन गुप्ता से भी बात हुई। उन्होंने कलसौरा गांव के नशे से ग्रस्त व्यक्तियों के बारे में जानकारी देने के साथ-साथ उनका ईलाज करने की अच्छी-खासी जानकारी दी। डॉ. गुप्ता ने बताया कि पहली बार कलसौरा गांव का भ्रमण किया, नशे से ग्रस्त लोगों की हालत देखकर दुख हुआ। उन्हें कैसे नई जिंदगी दे सकते हैं, इसकी रणनीति बनाई गई। शुरू में बात करने के लिए कोई तैयार नहीं था, लेकिन फिर पंचायत के सहयोग से घर-घर जाकर ऐसे लोगों का पता लगाया गया।

उन्हें समझाया गया कि नशा छोडऩे का ईलाज है, घबराने की जरूरत नहीं, हम मदद करेंगे। डॉ. मनन गुप्ता ने कहा कि मदद मांगना कमजोरी नहीं, शक्ति का प्रतीक है। जो लोग नशा छोडऩे के लिए काउंसलिंग से या स्वेच्छा से आगे आए, वह ही वास्तव में रीयल हीरो कहलाने के योग्य हैं। उन्होंने बताया कि अभियान को धार देने के लिए जो लोग नशा छोड़ चुके हैं, उनको साथ लेंगे। इसमें उन्होंने यासीन, अली और भरत शर्मा जैसे साहसी लोगों का जिक्र किया और कहा कि पूरी टीम बनाएंगे। पहले कलसौरा को पूर्ण रूप से नशा मुक्त करेंगे और फिर जिला के करीब 10 हाई रिस्क गांवों को नशा मुक्त करने पर त्वज्जों देंगे।
डॉ. मनन गुप्ता ने बताया कि नशा छोडऩे के तरीको में पहले काउंसलिंग और फिर ईलाज किया जाता है, ज्यादा नहीं जरूरत के हिसाब से 5 से 10 दिन ही दाखिल रहना पड़ता है। ईलाज लेने से ग्रस्त व्यक्ति 6 सप्ताह से 6 महीने में भला-चंगा हो जाता है। नशे की पहचान कर, दवाईयां डोज के हिसाब से दी जाती हैं। अपने संदेश में उन्होंने कहा कि नशा छोडऩे वाले व्यक्ति बेझिझक होकर नशा मुक्ति केन्द्रों में आएं। डॉक्टरों से मिलें, उनका नाम गुप्त रखा जाएगा। जिन कारणो से नशे को पकड़ा, उन पर भी गौर करेंगे। घर वालों से भी बात करेंगे। मैत्रीभाव से ईलाज किया जाएगा।
दो हजार व्यक्तियों का छुड़वा चुके नशा, डेड लाख को किया जागरूक, 500 पुलिस कर्मियों को दिया प्रशिक्षण-
बातचीत के दौरान डॉ. मनन गुप्ता ने बताया कि वे नशा मुक्ति केन्द्र के माध्यम से एक मिशनरी के तौर पर संकल्परत हैं, अब तक 2 हजार लोगों का नशा छुडवा चुके हैं। करीब डेड लाख व्यक्तियों को जागरूक कर चुके हैं। नशे की बुराई को समाप्त करने के लिए पुलिस का सहयोग बढ़ाने के लिए उन्हें प्रशिक्षण भी दे चुके हैं। उन्होंने कहा कि इस बुराई को समाप्त करने के लिए एनडीपीसी एक्ट है, लेकिन बुराई केवल कानून से ही समाप्त नहीं की जा सकती। इसके लिए काउंसलिंग और ईलाज भी जरूरी है, जिसे जारी रखने के लिए जिला प्रशासन ने कमर कस ली है।

Author: Jarnail
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