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August 3, 2025 3:54 AM

चुनावी मुद्दा बनता ऐडेड कॉलेज के समायोजन का मामला

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हरियाणा में अगले साल विधानसभा चुनाव हैं। सत्ताधारी और विपक्षी पार्टियों के नेता लगातार वोटर्स को लुभाने का हर संभव प्रयास कर रहे हैं । वहीं चुनावी आहट के चलते सरकारी कर्मचारी भी पिछले कुछ समय से लगातार अपनी मांगों को लेकर आवाज बुलंद कर रहे हैं। सरकारी तबके को भी इस बात का खास इल्म है कि चुनाव से पहले वह सरकार पर अपनी मांग मनवाने का अच्छा खासा दबाव बना सकते हैं । इसी कड़ी में प्रदेश के एडेड कॉलेज में तैनात टीचर्स और गैर शिक्षक संघ के कर्मचारियों की कुछ मांगे लंबे समय से लंबित हैं। अब वह लगातार मांग कर रहे हैं कि पिछले करीब 4 साल से लंबित उनकी सभी मांगों को पूरा किया जाए। कॉलेज टीचर्स एसोसिएशन पिछले कई वर्षों से टेकओवर के लिए संघर्षरत है और सरकारी महाविद्यालय में समायोजित होने हेतु प्रयासरत है। ये सातवें वेतनमान के अनुसार संशोधित HRA, एक्स ग्रेशिया, एनपीएस स्टाफ की ग्रेच्युटी, मेडिकल , समय पर सैलरी नहीं मिलना सहित अनेक लाभ इन्हे नहीं मिलते हैं।

मामले के चुनावी मायने समझिए

अगले साल होने वाले चुनाव को देखते हुए एडेड कॉलेज में तैनात टीचर्स के सरकारी कॉलेज में समायोजन के मुद्दे का राजनीतिक रंग लेना भी वाजिब है । एक टीचर के साथ परिवार और रिश्तेदारों व नजदीकियों समेत कई वोटर जुड़े होते हैं , तो कहीं ना कहीं वोट बैंक की राजनीति भी धरातल पर आना लाजमी है। सभी राजनीतिक दलों की कोशिश होगी कि टीचर्स को नाराज नहीं किया जाए। टीचर्स लगातार अपनी मांगों को मनवाने के लिए नेताओं से मिल रहे हैं। सत्ताधारी विधायक और नेता उनको जल्द से जल्द मामले के समाधान का आश्वासन दे रहे हैं तथा विपक्षी नेता लगातार वायदा कर रहे हैं कि उनकी सरकार आते ही वह मामले का समाधान करेंगे।

97 एडेड कॉलेज में करीब 3 हजार शिक्षक व गैर शिक्षक कर्मचारी, पद भी खाली

संगठन द्वारा प्राप्त जानकारी के अनुसार हरियाणा में 97 ऐडेड कॉलेज हैं और इनमें करीब 3 हजार शिक्षक और गैर शिक्षक कर्मचारी कार्यरत हैं । कॉलेज में तैनात दोनों ही वर्ग के कर्मचारियों की नियुक्ति सरकार द्वारा निर्धारित व फ्रेम किए गए रेगुलेशंस के आधार पर ही होती है । कॉलेज में कार्यरत कर्मचारियों को 95% अनुदान सरकार देती है जबकि 5% प्रबंधन समितियां द्वारा दिया जाता है। फिर भी इन महाविद्यालय पर सरकार का सीधा कंट्रोल नहीं है। संगठन के अनुसार इन एडेड कॉलेजों में शिक्षकों के पद बड़े पैमाने पर खाली पड़े हैं। इसके चलते कॉलेज में स्टूडेंट्स की पढ़ाई भी व्यापक पैमाने पर प्रभावित हो रही है। एडेड कॉलेज शिक्षक संघ के महासचिव डॉक्टर सुदीप कुमार के अनुसार हरियाणा में 97 सरकारी सहायता प्राप्त कालेजों में शिक्षक और गैर शिक्षकों के लगभग 4 हजार पद स्वीकृत हैं। वर्तमान में इन कॉलेज में 1971 शिक्षक और 1140 गैर शिक्षक कर्मचारी कार्यरत हैं। इनमें कार्यरत कर्मचारियों की नियुक्ति सरकार की ओर से बनाए गए रूल्स रेगुलेशन के अनुसार होती है । उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार ने इन कॉलेज में कार्यरत कर्मचारियों को टेकओवर करके सरकारी महाविद्यालय में समायोजित करने का वायदा किया था , जिसे अब तक पूरा नहीं किया गया है।

कॉलेज स्टाफ की मांग उनको सरकारी कॉलेजों में समय आयोजित किया जाए

कॉलेज टीचर्स एसोसिएशन व स्टाफ लगातार मांग कर रहे हैं कि उनको सरकारी कॉलेज में समायोजित किया जाए। उनका कहना है कि प्रदेश की वर्तमान सरकार ने एडेड कॉलेजों में कार्यरत कर्मचारियों को टेकओवर करके सरकारी महाविद्यालय में समायोजित करने का वायदा किया था, जो अभी तक सरकार ने पूरा नहीं किया है। उनका तर्क है कि इन कॉलेजों को जब 95% अनुदान सरकार द्वारा दिया जा रहा है तो उनको सरकारी कॉलेजों में समायोजित करने में क्या दिक्कत है। दूसरी तरफ यह भी बता दें कि टेकोवर पॉलिसी का एडेड कॉलेज में कार्यरत कर्मचारियों में कोई विरोधाभास नहीं है क्योंकि सरकार द्वारा बनाई यह पॉलिसी इच्छित है। जो कर्मचारी टेकओवर नहीं चाहते वह मूल कॉलेजों में रहते हुए, वहीं पर अपनी सेवाएं दे सकते हैं।

कॉलेजों के समायोजन की फाइल लंबे समय से अटकी हुई है

प्राप्त जानकारी के अनुसार कॉलेजों के स्टाफ को सरकारी महाविद्यालय में समयोजित करने हेतु पॉलिसी भी बन चुकी है। मुख्यमंत्री मनोहर लाल तथा शिक्षा मंत्री पहले ही इसकी अनुमति दे चुके हैं। इसको लेकर फाइल भी लंबे समय से चल रही है। यह फाइल वित्त विभाग के कुछ सुझावों और टिप्पणी की जानकारी देने हेतु लगभग पिछले चार वर्षो से शिक्षा विभाग में लंबित पड़ी थी , लेकिन अब इस फाइल पर काम चल रहा है और स्टाफ समायोजित करने की प्रक्रिया चल रही है।

पेंडिंग वेतन, ग्रेच्युटी, भत्ते समेत कई इश्यू अहम

प्राप्त जानकारी के अनुसार टीचर्स का वेतन भी कई बार पेंटिंग रहता है और इसके चलते उनको वित्तीय मोर्चों पर जूझना पड़ता है। कई बार दो से तीन महीने सैलरी नहीं मिलती । सातवें वेतनमान के अनुसार HRA की फाइल पिछले 3 सालों से वित्त विभाग में लंबित है । एक्स ग्रेशिया पहले एडेड कॉलेज के कर्मचारियों को मिलता था लेकिन नई एक्स ग्रेशिया पॉलिसी को लागू नहीं किया गया है। इसके साथ ही मेडिकल, एनपीएस स्टाफ की डेथ कम रिटायरमेंट ग्रेच्युटी, एलटीसी, ग्रुप डी के भत्ते , सेवा एवं अवकाश नियम में बदलाव न होना, सीसीएल जैसे लाभ भी इन कॉलेजों में कार्यरत शिक्षकों को नहीं मिलते।

कई अन्य राज्यों जैसे आंध्र प्रदेश, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश की सरकारों ने भी एडेड कॉलेजों के स्टाफ का सरकारी कॉलेजों में समायोजन किया है । हरियाणा में भी एडेड स्कूलों के स्टाफ को भी सरकारी स्कूलों में समायोजित किया गया है । ठीक इन्हीं नीतियों को अनुसरण करते हुए एडेड कॉलेजों के स्टाफ का समायोजन भी सरकारी कॉलेज में किया जाना चाहिए। सरकार द्वारा ऐसा करने से सरकारी खजाने को वित्तीय लाभ पहुंचेगा और सरकारी महाविद्यालय में स्टाफ की कमी भी पूरी होगी ।

डॉ सुदीप कुमार,
महासचिव, कॉलेज टीचर्स एसोसिएशन

Jarnail
Author: Jarnail

Jarnail Singh 9138203233 editor.gajabharyananews@gmail.com

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