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August 29, 2025 5:18 AM

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टैक्स देकर भी घंटों टोल पर इंतज़ार करते वाहन, समय और पैसों का होता नुकसान।

(आज भारत की टोल प्रणाली के समक्ष आने वाली प्रमुख चुनौतियाँ भीड़भाड़ और विलम्ब हैं। फास्टैग सिस्टम शुरू होने के बावजूद, टोल प्लाजा पर लगने वाली लंबी कतारें और देरी एक बड़ी समस्या बनी हुई हैं। तकनीकी गड़बड़ियाँ और कुछ क्षेत्रों में डिजिटल भुगतान विधियों का कम इस्तेमाल इस समस्या को और बढ़ा देता है। उदाहरण के लिए, टोल प्लाजा में निरंतर लगने वाला ट्रैफिक जाम। उच्च परिचालन लागत में टोल प्लाजा के संचालन और रखरखाव की लागत, जिसमें कर्मचारियों का वेतन, बुनियादी ढाँचे का रखरखाव और प्रौद्योगिकी का उपयोग शामिल है, वित्तीय बोझ को बढ़ाती है, जिससे प्रणाली की समग्र दक्षता कम हो जाती है। )

भारत का टोल रोड नेटवर्क वर्ष 2023 में 45,428 किलोमीटर तक विस्तारित हो गया, जो वर्ष 2019 के 25,996 किलोमीटर से 75% की वृद्धि है। इस विस्तार के बावजूद, चुनौतियाँ बनी हुई हैं, क्योंकि हालिया डेटा टोल संग्रह में विलम्ब को दर्शाता है, जो यातायात भीड़ में योगदान देता है। सड़क यात्रा दक्षता और राजस्व संग्रह को बढ़ाने के लिए इन चुनौतियों का समाधान करना आवश्यक है, जिसके लिए वर्तमान उपायों के विश्लेषण और अतिरिक्त समाधानों की आवश्यकता है। आज भारत की टोल प्रणाली के समक्ष आने वाली प्रमुख चुनौतियाँ भीड़भाड़ और विलम्ब हैं। फास्टैग सिस्टम शुरू होने के बावजूद, टोल प्लाजा पर लगने वाली लंबी कतारें और देरी एक बड़ी समस्या बनी हुई हैं। तकनीकी गड़बड़ियाँ और कुछ क्षेत्रों में डिजिटल भुगतान विधियों का कम इस्तेमाल इस समस्या को और बढ़ा देता है। उदाहरण के लिए, टोल प्लाजा में निरंतर लगने वाला ट्रैफिक जाम।

उच्च परिचालन लागत में टोल प्लाजा के संचालन और रखरखाव की लागत, जिसमें कर्मचारियों का वेतन, बुनियादी ढाँचे का रखरखाव और प्रौद्योगिकी का उपयोग शामिल है, वित्तीय बोझ को बढ़ाती है, जिससे प्रणाली की समग्र दक्षता कम हो जाती है। टोल डेटा में विसंगतियों (जैसे डेटा में हेरफेर और रिपोर्ट किए गए और वास्तविक ट्रैफिक के बीच भारी अंतर) का खुलासा किया गया है, जैसे कि पुणे एक्सप्रेसवे पर। टोल दरों में असमानता, अलग-अलग क्षेत्रों और राजमार्गों के हिस्सों में टोल दरों में भिन्नता और वाहन के प्रकारों के आधार पर असंगत मूल्य निर्धारण, यात्रियों के बीच भ्रम और असंतोष उत्पन्न करते हैं। टोल मूल्य निर्धारण के लिए पारदर्शिता और स्पष्ट तर्क की कमी जनता के असंतोष को बढ़ाती है। बुनियादी ढाँचे के एकीकरण का अभाव होने से कई टोल सड़कें, राष्ट्रीय सड़क नेटवर्क या शहरी परिवहन प्रणालियों के साथ एकीकृत नहीं हैं, जिसके कारण अकुशलताएँ उत्पन्न होती हैं।

भारत की टोल प्रणाली की चुनौतियों से निपटने के लिए शुरू की गई सरकारी पहलें फास्टैग कार्यान्वयन के माध्यम से राष्ट्रीय इलेक्ट्रॉनिक टोल संग्रह प्रणाली, कैशलेस लेनदेन को बढ़ावा देती हैं और स्वचालित टोल शुल्क कटौती के लिए प्रौद्योगिकी का उपयोग करके टोल प्लाजा पर भीड़ को कम करती हैं, और अब यह सभी वाहनों के लिए अनिवार्य है। एक राष्ट्र, एक फास्टैग पहल ने देश भर में टोल संग्रह को मानकीकृत किया, जिससे राजमार्ग संचालक या राज्य की परवाह किए बिना सभी टोल प्लाजाओं पर फास्टैग की अंतर-संचालन क्षमता सुनिश्चित हुई, जिससे यात्रियों को एक सहज अनुभव मिला और टोल शुल्क पर भ्रम कम हुआ।

सरकार, टोल प्लाजा पर भीड़भाड़ जैसी समस्याओं को दूर करने और दूरी आधारित टोल संग्रह के लिए वाहन ट्रैकिंग सुनिश्चित करने हेतु जीपीएस आधारित टोल संग्रह प्रणाली का परीक्षण कर रही है, जिससे भौतिक टोल बूथों की आवश्यकता कम हो जाएगी। सरकार ने यातायात की निगरानी और टोल चोरी को रोकने के लिए टोल प्लाजा पर सीसीटीवी सिस्टम लगाए हैं। फास्टैग और नकद भुगतान दोनों को स्वीकार करने वाली हाइब्रिड लेन भी सुचारू यातायात प्रवाह सुनिश्चित करने के लिए शुरू की गई हैं, खासकर उन क्षेत्रों में जहाँ फास्टैग का उपयोग कम है। निजी भागीदारों को शामिल करने के लिए टोल रोड विकास में सार्वजनिक-निजी भागीदारी मॉडल पेश किए गए हैं, जिसका उद्देश्य बुनियादी ढाँचे की गुणवत्ता को बढ़ाना, सेवा वितरण में सुधार करना और टोल प्लाजाओं का बेहतर रखरखाव सुनिश्चित करना है।

भारत की टोल प्रणाली को और बेहतर बनाने वाले उपाय करने की सख्त ज़रूरत है। जीपीएस आधारित टोल संग्रह, जो यात्रा की गई दूरी के आधार पर शुल्क लेता है, को अपनाने में तेजी लाने से भौतिक टोल प्लाजा को समाप्त किया जा सकता है, जिससे भीड़भाड़ और राजस्व लीकेज को कम किया जा सकता है, तथा एक अधिक कुशल, पारदर्शी प्रणाली सुनिश्चित की जा सकती है। बेहतर डेटा एकीकरण और विश्लेषण से टोल प्लाजा पर डेटा विश्लेषण और रियल टाइम निगरानी का लाभ उठाकर भीड़भाड़ का पूर्वानुमान लगाया जा सकता है, टोल चोरी का पता लगाया जा सकता है और यातायात प्रवाह को अनुकूलित किया जा सकता है, जबकि व्यापक यातायात प्रबंधन प्रणालियों के साथ टोल डेटा को एकीकृत करने से सड़क अवसंरचना प्रबंधन में सुधार होता है।

एक गतिशील मूल्य निर्धारण मॉडल जो यातायात की मात्रा और दिन के समय के आधार पर टोल दरों को समायोजित करता है, वह व्यस्ततम घंटों में भीड़भाड़ को प्रबंधित करने , अधिक कुशल सड़क उपयोग को प्रोत्साहित करने और अड़चनों को कम करने में मदद कर सकता है। सरकार स्वचालित नंबर प्लेट पहचान प्रणाली के साथ निगरानी बढ़ाकर और कठोर दंड लगाकर, अनुपालन में सुधार करके तथा राजस्व संग्रह को बढ़ाकर टोल चोरी पर अंकुश लगा सकती है। स्थानीय यात्रियों के लिए वैकल्पिक मार्गों का विकास और टोल-मुक्त सड़कों का विस्तार करने से टोल के प्रति जनता का विरोध कम हो सकता है, जबकि पर्यावरण-अनुकूल वाहनों के लिए कम दरों की पेशकश से सतत परिवहन को बढ़ावा मिलेगा।

हालाँकि सरकारी पहलों ने कार्यकुशलता के मामले में सुधार किया है, लेकिन भीड़भाड़ और चोरी जैसे मुद्दों के लिए अधिक सशक्त समाधान की आवश्यकता है। जीपीएस-आधारित टोलिंग और गतिशील मूल्य निर्धारण जैसी उन्नत तकनीकों को अपनाने के साथ-साथ इनके‌ सख्त प्रवर्तन से टोल प्रणाली को बेहतर बनाया जा सकता है। इन उपायों को लागू करने से सभी उपयोगकर्ताओं के लिए अधिक सुव्यवस्थित, प्रभावी और निष्पक्ष टोलिंग अनुभव सुनिश्चित होगा।

डॉo सत्यवान सौरभ,

कवि,स्वतंत्र पत्रकार एवं स्तंभकार, आकाशवाणी एवं टीवी पेनालिस्ट,333, परी वाटिका, कौशल्या भवन, बड़वा (सिवानी) भिवानी,हरियाणा – 127045, 

Jarnail
Author: Jarnail

Jarnail Singh 9138203233 editor.gajabharyananews@gmail.com

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