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August 3, 2025 3:02 AM

प्रसिद्घ सूफी गायक हंस राज हंस अब अंतर्राष्ट्रीय मंच पर नजर आएगें नए अंदाज में

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अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव के मंच से सूफी गायक ने किया ऐलान, जल्द ही सूफी गायन के चाहने वालों की मुराद करेंगे पूरी, बचपन में बोलने के समय से ही परमात्मा की मेहर से गा रहें है सूफी गीत, गीता की भूमि पर आने से मेहसुस होती है भगवान श्री कृष्ण के उपदेशों की अत्मिक तरगें, सूफी गायक हंस राज हंस ने मन की बात को किया सांझा

कुरुक्षेत्र , डॉ जरनैल रंगा । विश्व प्रसिद्घ सूफी गायक हंस राज हंस अब दोबारा नए अंदाज में राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय मंच पर नजर आएगें। इन मंचों पर नए सूफी गायन की प्रस्तुति देकर सूफी गायन को चाहने वालो की मुराद को पूरी करेंगे। इन मंचों पर 11 साल के अतंराल के बाद नजर आएगें, इसके लिए सूफी गायन की तैयारियां भी पूरी कर ली हैं। इस सूफी गायक ने अपने मन की इस बात को अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव 2024 के मंच पर सांझा किया हैं।

अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव 2024 में एनजेडसीसी के तरफ से सूफी गायन की प्रस्तुति देने के लिए गत देर सांय पुरूषोत्मपुरा बाग में पहुचे थे। यहां पर पद्मश्री एवं पूर्व सांसद हंस राज हंस ने सूफी गायन के चहेतों के साथ अपने मन की बात को अनोखे अंदाज में सांझा करते हुए कहा कि ब्रहसरोवर की इस फीजा के कायल हो गए है इस पावनधरा पर चौथी बार आने का अवसर मिला हैं। इस प्रवित्र भूमि पर भगवान श्री कृष्ण ने हजारों वर्ष पूर्व अर्जुन का मोह भंग करने के उद्देश्य से पूरी मानवता को धर्म की राह पर चलने के लिए गीता के उपदेश दिए थे। इस पावन धरा पर आने वाले प्रत्येक व्यक्ति के जहन में भगवान श्री कृष्ण के दिए उपदेशों की तरंगों को सहजता से महसूस किया जा सकता हैं।
उन्होंने कहा कि जैसे ही कुरूक्षेत्र की भूमि पर पहुंचे तो उन्होंने अलग तरंगों को महसूस किया। इससे स्पष्टï होता है कि पवित्र ग्रंथ गीता एक ग्रंथ मात्र ही नहीं है अपितु पूरी मानवता के लिए एक ऐसा ग्रंथ है जिसको पढकर मानव का जीवन ही सफल हो जाता हैं। इस पवित्र ग्रंथ गीता के उपदेशों को पूरी मानव जाति को ग्रहण करना चाहिए। जो व्यक्ति इन उपदेशों को अनुसरण करेगा उस व्यक्ति का जीवन ही सफल हो जाएगा। उन्होंने एक प्रश्न का जवाब देते हुए कहा कि पंजाब के जिला जांलधर गांव शाफीपुर में पिता अर्जन दास , माता अजीत कौर के घर जन्म लिया और जैसे ही बचपन में बोलना शुरू किया तो उनके मुख से सूफी गायन की तर्ज को लोगों ने सुना, ऐसा उनके परिजनों ने होश सम्भालने के बाद बताया। यह सूफी गायन परमात्मा की ही देन है क्योंकि उनके घर और परिवार में कोई भी गायक नहीं हैं।

सूफी गायक ने कहा कि गांव में एक बुजुर्ग को सूफी गीत गाते हुए सुना और उसी बुजुर्ग को अपना उस्ताद समझकर सूफी गायन का रियाज शुरू किया और उसके बाद जमला जट्टï से भी सूफी गायन के बारे में काफी कुछ ग्रहण करने का अवसर मिला। उसके बाद उस्ताद पूर्ण शाह कोटी से प्रशिक्षण ग्रहण किया। उन्होंने तीन पंजाबी फि ल्म, पंजाबी पॉप ऐलबम, कच्चे धागे फिल्म में काम किया। उनके जीवन में राजनीति में आने का एक नया मौड आया और 11 साल के अतंराल के बाद एक बार फिर वे सूफी गायन के मंच पर नए अंदाज में नजर आएगें और अपने चाहने वालों की मुराद को पूरी करेंगे। इस नए अंदाज में आने के लिए योजना तैयार कर ली हैं। उनका सौभाग्य है कि गीता स्थली से इस विषय को लेकर अपने मन की बात को सांझा कर रहें हैं।

पद्मश्री हंस राज हंस ने कहा कि अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव के मंच पर पहुंचना उनका परम सौभाग्य हैं। इस कर्मस्थली पर उनको कर्म करने का एक अवसर सरकार की तरफ से दिया गया हैं। इस पावन धरा पर पहुंचने का जब जब भी अवसर मिलेगा वे उस अवसर को कभी खराब नहीं करेंगे। उन्होंने नौजवानों से अपील करते हुए कहा कि अपने जीवन को सच और धर्म की राह पर लाने के लिए पवित्र ग्रंथ गीता के उपदेशों को अपने जीवन में धारण करना चाहिए। इसके साथ ही हर कलाकार को अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव के मंच से जुडऩा चाहिए। इस मौके पर एनजेडसीसी के अधिकारी रविन्द्र सिंह, जरनैल सिंह उपस्थित थे।

Jarnail
Author: Jarnail

Jarnail Singh 9138203233 editor.gajabharyananews@gmail.com

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