पुरातत्व विभाग की उदासीनता पर उठे सवाल
कुरुक्षेत्र । धर्मनगरी कुरुक्षेत्र से सटे लाडवा के निवारसी गांव में खेतों में काम कर रहे मजदूरों को मिट्टी से प्राचीन चांदी के सिक्के मिलने के दावों ने न केवल ग्रामीणों में ‘खजाने’ की तलाश की होड़ लगा दी है, बल्कि यह घटना स्थानीय प्रशासन और पुरातत्व विभाग की उदासीनता पर गंभीर सवाल भी खड़े कर रही है। यह महज कुछ सिक्कों का मिलना नहीं, बल्कि इस क्षेत्र के अनजाने इतिहास की नई परतें खुलने का संकेत हो सकता है।
जानकारी के अनुसार, निवारसी गांव स्थित एक प्राचीन शिव मंदिर से निकाली गई मिट्टी को पास के रास्ते पर इस्तेमाल किया गया था। इसी मिट्टी के संपर्क में आए खेतों में काम कर रहे मजदूरों को कुछ पुराने चांदी के सिक्के मिले। खबर जंगल की आग की तरह फैलते ही, पूरे गांव में उत्खनन का एक अनौपचारिक अभियान छिड़ गया। ग्रामीण उत्साहपूर्वक दावा कर रहे हैं कि उन्हें बड़ी मात्रा में चांदी के सिक्के मिले हैं, कुछ ने तो दो किलो तक चांदी मिलने की बात भी कही है। हालांकि, इन दावों की अभी तक कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है, जिससे इनकी प्रामाणिकता पर एक प्रश्नचिह्न लगा हुआ है।

अंधेरे में प्रशासन और पुरातत्व विभाग: एक गंभीर चूक?
सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि इस संभावित पुरातात्विक महत्व की घटना की जानकारी न तो कुरुक्षेत्र जिला प्रशासन को है और न ही भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) या राज्य के पुरातत्व विभाग को दी गई है। लाडवा के नायब तहसीलदार ने ऐसी किसी भी जानकारी से अनभिज्ञता जताई है। यह लापरवाही तब और भी गंभीर हो जाती है, जब विशेषज्ञ यह मानते हैं कि यदि ये सिक्के वाकई प्राचीन हैं, तो यह क्षेत्र किसी महत्वपूर्ण ऐतिहासिक बस्ती या व्यापारिक मार्ग का हिस्सा हो सकता है।
पुरातत्व विशेषज्ञों का कहना है कि इस तरह की खोजें किसी भी क्षेत्र के सांस्कृतिक और ऐतिहासिक मानचित्र को बदलने की क्षमता रखती हैं। सिक्कों की धातु, बनावट, प्रतीक और काल निर्धारण से उस युग की अर्थव्यवस्था, शासकों और सामाजिक-आर्थिक स्थिति के बारे में बहुमूल्य जानकारी मिल सकती है। ऐसे में, बिना किसी विशेषज्ञ पर्यवेक्षण के अनियंत्रित खुदाई न केवल पुरातात्विक साक्ष्यों को नष्ट कर सकती है, बल्कि इतिहास के एक महत्वपूर्ण अध्याय को हमेशा के लिए खो देने का जोखिम भी पैदा करती है।

निवारसी गांव की यह घटना हमें याद दिलाती है कि हमारे आसपास बिखरे ऐतिहासिक अवशेषों को संरक्षित करने और उनकी वैज्ञानिक जांच करने की कितनी आवश्यकता है। प्रशासन और संबंधित विभागों को इस मामले में तत्काल हस्तक्षेप कर स्थिति का आकलन करना चाहिए, मिली हुई वस्तुओं को सुरक्षित करना चाहिए और एक विस्तृत पुरातात्विक सर्वेक्षण सुनिश्चित करना चाहिए, ताकि इन “चांदी की चमक” के पीछे छिपे इतिहास के रहस्यों को उजागर किया जा सके और उन्हें संरक्षित किया जा सके। यह केवल कुछ सिक्कों का मामला नहीं, बल्कि हमारी विरासत और हमारी पहचान का प्रश्न है।

Author: Jarnail
Jarnail Singh 9138203233 editor.gajabharyananews@gmail.com