कुरुक्षेत्र, डॉ जरनैल रंगा । श्री हंस योग आश्रम कुरुक्षेत्र में मानव उत्थान सेवा समिति के तत्वाधान में भाद्रपद अमावस्या के उपलक्ष्य में एक सद्भावना सत्संग समारोह और विशाल भंडारे का आयोजन किया गया। इस अवसर पर सद्गुरु देव श्री सतपाल महाराज जी की शिष्याओं – महात्मा अंतर्मुखी बाई जी, महात्मा सुभद्रा बाई जी, महात्मा सुनिधि बाई जी, और महात्मा अर्चना बाई जी – ने अपने प्रवचनों और भजनों से भक्तों को भावविभोर कर दिया।
आश्रम प्रभारी महात्मा अंतर्मुखी बाई जी ने अपने सत्संग में धर्म की वास्तविक परिभाषा को स्पष्ट किया। उन्होंने कहा कि धर्म का अर्थ किसी पुस्तक या भाषा का ज्ञान नहीं, बल्कि उसे धारण करना और अपनाना है। जब-जब महापुरुष इस धरती पर आए, उन्होंने लोगों को आत्मा, रूह, शक्ति या स्पिरिट का ज्ञान दिया। यही आत्मज्ञान है, जिसे अपने हृदय में महसूस करना ही सच्चा धर्म है। उन्होंने जोर देकर कहा कि मानव-मानव के बीच की नफरत और भेदभाव को केवल आत्मज्ञान ही समाप्त कर सकता है।

महात्मा जी ने सदगुरू सतपाल जी महाराज के विचारों का उल्लेख करते हुए बताया कि सच्चे धार्मिक व्यक्ति वे हैं जो चिन्हों और बाहरी दिखावों के लिए नहीं लड़ते, बल्कि उनकी मूल शिक्षा को अपनाकर अपनी आत्मा का उत्थान करते हैं। उन्होंने समझाया कि हमारा शरीर आत्मा से ही जीवित है और जब यह आत्मा निकल जाती है तो शरीर मिट्टी बन जाता है। इसलिए हमें उसी आत्मा की पूजा करनी चाहिए, जो हर हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई, ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य, आस्तिक और नास्तिक के भीतर निवास करती है। जब व्यक्ति में आत्मज्ञान का प्रकाश होता है, तो जाति और मजहब के भेदभाव समाप्त हो जाते हैं। उन्होंने कहा कि हमारा रूप, शक्ल और जाति चाहे अलग हो, लेकिन हम सबके भीतर एक ही परम तत्व, एक ही आत्मा का धागा विराजमान है। इसी आत्मा के धागे को जानकर ही पूरा मानव समाज एकजुट हो सकता है।
महात्मा सुभद्रा बाई जी ने संसार में प्रचलित दो प्रकार की विद्याओं के बारे में बताया – अपरा विद्या और परा विद्या। उन्होंने कहा कि अपरा विद्या वह है जिससे सांसारिक और भौतिक ज्ञान मिलता है, जबकि परा विद्या वह है जो हमें ईश्वर से मिलाती है। महात्मा सुनिधि बाई जी और महात्मा अर्चना बाई जी ने भी अपने भजनों और सत्संग से सभी भक्तों को मंत्रमुग्ध कर दिया।

प्रेस सचिव पवन कुमार गोयल ने बताया कि मानव उत्थान सेवा समिति के संस्थापक सद्गुरु देव श्री सतपाल जी महाराज का जन्म महोत्सव 21 सितंबर को प्रेम नगर आश्रम, हरिद्वार में बड़े धूमधाम से मनाया जा रहा है। इसी उपलक्ष्य में, समिति 14 सितंबर से 21 सितंबर तक पूरे भारतवर्ष में सद्भावना यात्रा और सद्भावना सम्मेलन का आयोजन कर रही है। सत्संग के बाद, सभी भक्तों ने महाप्रसाद का आनंद लिया। इस कार्यक्रम में प्रधान नरेश खुराना, कीमती लाल खुराना, बलदेव खुराना, राहुल खुराना, नरेंद्र सिंह, राहुल चौधरी, श्री कृष्ण सैनी, मामचंद, कृष्ण लाल, संतलाल, नरेश शर्मा, शारदा सैनी, रेखा रानी, कृष्णा देवी, चंपा गुप्ता, कमल वर्मा और सुनीता देवी सहित कई भक्तगण उपस्थित थे।

Author: Jarnail
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