Explore

Search
Close this search box.

Search

November 5, 2025 8:15 AM

भारतीय दंड प्रक्रिया संहिता संशोधन कानून -2022

WhatsApp
Facebook
Twitter
Email

संविधान,मानवाधिकार व निजता के अधिकार के खिलाफ : रजत कल्सन

हांसी/हिसार । केंद्र सरकार हाल में ही भारतीय दंड प्रक्रिया संहिता संशोधन कानून 2020 लेकर आई है जिसमें पुलिस व केंद्रीय जांच एजेंसियों द्वारा गिरफ्तार नागरिकों की की पहचान के बारे में नए कानून बनाए गए हैं।
इस बारे में बात करते हुए नेशनल अलायंस पर दलित ह्यूमन राइट्स के संयोजक अधिवक्ता रजत कलसन ने कहा कि अब तक लागू भारतीय दंड संहिता के अनुसार पुलिस किसी आपराधिक मुकदमे में गिरफ्तार किए गए व्यक्ति के दोनों हाथों की सभी उंगलियों के निशान अपने रिकॉर्ड के लिए ले सकती थी परंतु उससे गिरफ्तार आरोपी के बायोलॉजिकल टेंपल लेने की अनुमति नहीं थी इसके लिए उससे इलाका मजिस्ट्रेट की पूर्व परमिशन की जरूरत पड़ती थी। परंतु अब केंद्र सरकार द्वारा लाएगा भारतीय दंड प्रक्रिया संहिता 2022 बिल अगर कानून बन जाता है तो पुलिस को गिरफ्तार व्यक्ति के बायोलॉजिकल नमूने लेने की शक्ति व आजादी मिल जाएगी।

कल्सन ने कहा कि भारत के संविधान के अनुच्छेद 20(1)(3) में स्पष्ट कहा गया है कि किसी भी नागरिक को जब तक दोषी नहीं माना जाएगा, जब तक कि उसे कोई सक्षम अदालत दोषी घोषित ना कर दे। इसके साथ ही इस अनुच्छेद में यह भी कहा गया है कि किसी भी नागरिक को जो पुलिस द्वारा गिरफ्तार किया गया है उसे अपने ही खिलाफ सबूत देने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता।

एडवोकेट रजत कलसन

कल्सन ने मौजूदा बिल पर चिंता जाहिर करते हुए कहा कि अब जो केंद्र सरकार द्वारा संशोधन बिल लाया गया है जिसके मुताबिक पुलिस तथा केंद्रीय जांच एजेंसियां अब शक के आधार पर ही किसी व्यक्ति थाने में लाकर उसके बायोलॉजिकल सैंपल ले सकते हैं। इसके तहत पुलिस अपराधियों की उंगलियों के निशान, पैरों और हथेली के निशान, फोटोग्राफ, बॉयोलॉजिकल सैंपल, आंख की पुतली, रेटिना स्कैन, दस्तखत और लिखावट जैसे रिकॉर्ड का कलेक्शन कर सकती है।

उन्होंने कहा कि इस नए विधेयक की धारा 2(1)(बी) के तहत उंगलियों के निशान, हथेली के निशान, पैरों के निशान, फोटोग्राफ, आंखों की पुतली, रेटिना, भौतिक और जैविक नमूने और उनके विश्लेषण करने की जांच प्रक्रिया को परिभाषित किया गया है। इतना ही नहीं, यह बिल पुलिस को दंड प्रक्रिया संहिता, 1973 की धारा 53 या धारा 53ए के तहत संदर्भित हस्ताक्षर और लिखावट या किसी अन्य परीक्षा सहित उनके व्यवहार संबंधी गुणों को एकत्र करने की भी अनुमति देगा। कल्सन ने बताया कि कोई नागरिक नमूने देने के लिए मना करता है तो उसके खिलाफ दफा 186 आईपीसी के तहत मुकदमा दर्ज कर उसे गिरफ्तार किया जा सकता है। यानी एक तरह से मोदी सरकार पुलिस राज स्थापित करने की तैयारी में है।

कल्सन ने कहा कि यह नया कानून पूरी तरह भारत के संविधान की मूल भावना के खिलाफ है तथा मानव अधिकारों का कत्ल करने वाला है।
उन्होंने कहा कि कई बार बहुत से निर्दोष लोगों के खिलाफ आपराधिक मुकदमे दर्ज हो जाते हैं तथा बाद में वह निर्दोष भी घोषित होते हैं लेकिन इस कानून के बाद उनका रिकॉर्ड भी संगीन अपराधियों के साथ शामिल हो जाएगा। यह कानून आम नागरिक की प्राइवेसी यानी निजता के अधिकार का भी एलानिया उल्लंघन है।
उन्होंने आह्वान किया कि समाज के बुद्धिजीवी साथियों को सरकार द्वारा किए जा रहे तानाशाही फैसलों की खिलाफत करनी होगी।

Jarnail
Author: Jarnail

Jarnail Singh 9138203233 editor.gajabharyananews@gmail.com

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Advertisement
लाइव क्रिकेट स्कोर