वाशिंगटन/ दिल्ली । भारतीय पेशेवरों का अमेरिका में बसने और काम करने का सपना खतरे में पड़ सकता है। दशकों से भारतीयों को ‘अमेरिकन ड्रीम’ पूरा करने का मौका देने वाला एच-1बी वीजा प्रोग्राम अब अमेरिकी नेताओं के निशाने पर है। अमेरिका के वाणिज्य मंत्री हावर्ड लुटनिक और फ्लोरिडा के गवर्नर रॉन डेसेंटिस जैसे प्रभावशाली व्यक्ति इस कार्यक्रम को ‘धोखाधड़ी’ (scam) बता रहे हैं, जिससे इस वीजा के भविष्य पर गंभीर सवाल उठ रहे हैं।
क्या है एच-1बी वीजा पर आपत्ति?
हावर्ड लुटनिक ने हाल ही में फॉक्स न्यूज को दिए एक इंटरव्यू में कहा कि मौजूदा एच-1बी वीजा प्रणाली एक “घोटाला” है। उनका मानना है कि यह वीजा विदेशी कर्मचारियों को अमेरिकी नागरिकों की नौकरी छीनने का मौका देता है। वे जोर देकर कहते हैं कि अमेरिकी कंपनियों को प्राथमिकता से अमेरिकी कर्मचारियों को ही नियुक्त करना चाहिए। लुटनिक ने यह भी सुझाव दिया है कि एच-1बी वीजा को वेतन के आधार पर जारी किया जाना चाहिए। इसका मतलब है कि जिस विदेशी कर्मचारी को अमेरिकी कंपनी सबसे ज्यादा वेतन देगी, उसे वीजा मिलने की संभावना सबसे ज्यादा होगी। यह बदलाव भारत जैसे देशों के लिए एक बड़ी चुनौती बन सकता है, क्योंकि अक्सर भारतीय पेशेवरों को अमेरिका में कम वेतन पर काम करने के लिए जाना जाता है।

‘गोल्ड कार्ड’ प्लान: अमीरों के लिए दरवाजा
एच-1बी वीजा कार्यक्रम में बदलाव के साथ-साथ, लुटनिक ने पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के ‘गोल्ड कार्ड’ प्लान को फिर से चर्चा में ला दिया है। इस योजना के तहत, अमेरिका में स्थायी निवास (ग्रीन कार्ड) केवल उन्हीं विदेशी नागरिकों को मिलेगा जो कम से कम 5 मिलियन डॉलर का निवेश करने के लिए तैयार होंगे। यह एक बड़ा बदलाव होगा क्योंकि वर्तमान में ग्रीन कार्ड विभिन्न श्रेणियों जैसे परिवार और रोजगार के आधार पर भी मिलता है। यदि यह योजना लागू होती है, तो यह स्पष्ट है कि अमेरिका अपनी स्थायी निवास नीति को केवल अमीर और निवेशक वर्ग तक सीमित करना चाहता है।
भारतीयों पर संभावित असर
एच-1बी वीजा कार्यक्रम में बदलाव से सबसे ज्यादा असर भारतीय आईटी और स्वास्थ्य सेवा पेशेवरों पर पड़ेगा। भारतीय वर्कर्स दशकों से इस वीजा के जरिए अमेरिका में अपनी जगह बनाते आए हैं। अगर एच-1बी वीजा पर सख्ती होती है या इसे पूरी तरह से खत्म कर दिया जाता है, तो यह अमेरिका जाने के इच्छुक लाखों भारतीय पेशेवरों के लिए एक बड़ा झटका होगा। यह न केवल उनके करियर बल्कि ‘अमेरिकन ड्रीम’ को भी खत्म कर देगा, जिसे उन्होंने वर्षों से संजोया है। यह स्थिति भारत के लिए भी एक चिंता का विषय है, क्योंकि अमेरिका में काम करने वाले पेशेवर भारत में बड़ी मात्रा में पैसा भेजते हैं, जो देश की अर्थव्यवस्था में योगदान करता है।

Author: Jarnail
Jarnail Singh 9138203233 editor.gajabharyananews@gmail.com