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May 1, 2025 9:23 am

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पारंपरिक चिकित्सा को आधुनिक वैज्ञानिक दृष्टिकोण के साथ जोड़ने का उत्कृष्ट कार्य कर रहा आयुष विश्वविद्यालय: बंडारू दत्तात्रेय

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पारंपरिक चिकित्सा को आधुनिक वैज्ञानिक दृष्टिकोण के साथ जोड़ने का उत्कृष्ट कार्य कर रहा आयुष विश्वविद्यालय: बंडारू दत्तात्रेय

भारत को “विश्वगुरु” बनाने में आयुर्वेदाचार्य की अहम भूमिका: वैद्य कोटेचा

श्रीकृष्ण आयुष विश्वविद्यालय का पहला दीक्षांत समारोह संपन्न, 126 चिकित्सकों को मिली डिग्री, 26 को गोल्ड मेडल

पद्मभूषण राजवैद्य देवेंद्र त्रिगुणा को आयुर्वेद संकाय की पहली मानद उपाधि से नवाजा

कुरुक्षेत्र । हरियाणा के राज्यपाल एवं आयुष विश्वविद्यालय के कुलाधिपति बंडारू दत्तात्रेय ने कहा कि आज हम उस पवित्र धरती पर खड़े हैं,जहां भगवान श्री कृष्ण ने गीता के माध्यम से धर्म, ज्ञान और कर्म का अमर उपदेश दिया था। कुरुक्षेत्र की यह भूमि सत्य, साहस और संकल्प का प्रतीक है। उसी महान परंपरा को आगे बढ़ाते हुए आयुष विश्वविद्यालय पारंपरिक चिकित्सा को आधुनिक वैज्ञानिक दृष्टिकोण के साथ जोड़ने का उत्कृष्ट कार्य कर रहा है।

 

महामहिम राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय शुक्रवार को श्री कृष्ण आयुष विश्वविद्यालय के सभागार में आयोजित प्रथम दीक्षांत समारोह की अध्यक्षता करते हुए संबोधित कर रहे थे। आयुष विश्वविद्यालय पहुंचने पर कुलपति प्रो. वैद्य करतार सिंह धीमान, आयुष मंत्रालय के सचिव वैद्य राजेश कोटेचा, विशिष्ठ अतिथि राजवैद्य पद्मभूषण देवेंद्र त्रिगुणा एवं कुलसचिव प्रो. वैद्य ब्रिजेंद्र सिंह तोमर ने बुके देकर भव्य स्वागत किया।
दीक्षांत समारोह में राज्यपाल ने आयुष विश्वविद्यालय से स्नातक व स्नातकोत्तर उत्तीर्ण कर चुके 126 चिकित्सकों को डिग्री वितरित की। महामहिम बंडारू दत्तात्रेय ने पद्मभूषण राजवैद्य देवेंद्र त्रिगुणा को आयुर्वेद संकाय में मानद उपाधि देकर सम्मानित करने के साथ-साथ विश्वविद्यालय के 26 चिकित्सकों को गोल्ड मेडल पहनाकर सम्मानित किया।

इससे पहले डिग्री हासिल करने वाले चिकित्सकों को चरक शपथ दिलाई गई। राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय, मुख्यातिथि आयुष मंत्रालय के सचिव वैद्य राजेश कोटेचा, विशिष्ठ अतिथि राजवैद्य पद्मभूषण देवेंद्र त्रिगुणा, आयुष विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो.वैद्य करतार सिंह धीमान और कुलसचिव प्रो. ब्रिजेंद्र सिंह तोमर ने दीक्षांत समारोह कि समरिका का विमोचन किया। कुलपति प्रो. वैद्य करतार सिंह धीमान ने दीक्षांत समारोह में पहुंचे राज्यपाल महामहिम बंडारू दत्तात्रेय समेत सभी महमानों का स्वागत करते हुए आभार व्यक्त किया।

नौकरी लेने नहीं, देने वाले बने चिकित्सक:दत्तात्रेय

कुलाधिपति बंडारू दत्तात्रेय ने कहा कि यह दीक्षांत केवल डिग्री प्राप्ति का अवसर नहीं,बल्कि एक नवीन उत्तरदायित्व का आरंभ है। आज जब पूरी दुनिया स्वास्थ्य के क्षेत्र में नई दिशा तलाश रही है, ऐसे में आयुर्वेद, योग और होम्योपैथी जैसी भारतीय चिकित्सा पद्धतियों की प्रासंगिकता और भी अधिक बढ़ गई है। उन्होंने कहा कि मुझे मालूम हुआ कि जिन विद्यार्थियों को डिग्री मिल रही है, उनमें से ज्यादातर को सरकारी नौकरी मिल गई है। उन्होंने चिकित्सकों को प्रेरित करते हुए कहा कि आप सिर्फ सरकारी नौकरी तक सीमित न रहें,बल्कि 10 लोगों को नौकरी देने वाले बने। देश-विदेशों में नया स्टार्टअप स्थापित करने का लक्ष्य रखकर चलें।

मानवता के सच्चे दूत हैं चिकित्सक: बंडारू

कुलाधिपति बंडारू दत्तात्रेय ने कहा कि आप केवल डिग्रीधारी नहीं,बल्कि स्वास्थ्य और मानवता के सच्चे दूत हैं। आपको समाज के अंतिम व्यक्ति तक अपनी सेवा पहुंचानी है। आज लकवा, कैंसर और किडनी के रोग से परेशान मरीज आज आयुर्वेद की तरफ जा रहे हैं। महामहिम ने विद्यार्थियों को शोध को बढ़ावा देने के लिए प्रेरित किया। कहा कि डॉक्टर को भगवान का स्वरूप माना जाता है। अगर आप अच्छे वैद्य बनेंगे तो निश्चित रूप से रोगी का दर्द और पीड़ा खुद से ठीक हो जाएगी। महामहिम ने कुलपति प्रो. वैद्य करतार सिंह धीमान और विश्वविद्यालय प्रशासन की संपूर्ण टीम को दीक्षांत समारोह के सफल आयोजन के लिए बधाई दी।

राष्ट्र के विकास में अहम भूमिका निभा रहीं नारी शक्ति: दत्तात्रेय

राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय ने इस बात पर गर्व जताया कि विश्वविद्यालय के 126 विद्यार्थियों को उपाधियां प्रदान की गई, जिनमें से अधिकांश छात्राएं हैं। गोल्ड मेडल पाने वाले 26 विद्यार्थियों में 23 बेटियां शामिल हैं,जो ‘बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ’ की सशक्त झलक प्रस्तुत करता है। राज्यपाल ने कहा कि नारी शक्ति राष्ट्र के विकास में अहम भूमिका निभा रही हैं। उन्होंने विश्वविद्यालय द्वारा ग्रामीण क्षेत्रों में लगाए जा रहे नि:शुल्क चिकित्सा शिविरों,सामुदायिक जागरूकता अभियानों और शोध कार्यों की सराहना की।

आयुर्वेद मात्र रोगों का उपचार नहीं, बल्कि जीवनशैली का मार्गदर्शन है: सचिव

इस अवसर पर मुख्यातिथि आयुष मंत्रालय के सचिव वैद्य राजेश कोटेचा ने कहा कि आप सब सौभाग्यशाली हैं कि आपने आयुर्वेद जैसी वैज्ञानिक,आध्यात्मिक और सांस्कृतिक परंपरा से जुड़ी चिकित्सा पद्धति को चुना है। यह केवल रोगों का उपचार नहीं, बल्कि जीवनशैली का मार्गदर्शन है। अब आपकी जिम्मेदारी है कि आप आयुर्वेद की श्रेष्ठता को समाज के व्यवहार में उतारें। उन्होंने कहा कि आज जब पूरी दुनिया प्राकृतिक चिकित्सा और जीवनशैली चिकित्सा की ओर बढ़ रही है, ऐसे समय में आयुर्वेद की प्रासंगिकता और भी अधिक बढ़ गई है। मुख्य अतिथि ने चिकित्सकों से अनुसंधान, नवाचार और वैश्विक स्तर पर आयुर्वेद के प्रचार-प्रसार में भागीदारी की अपील की और कहा कि भारत को “विश्वगुरु” बनाने में आयुर्वेदाचार्य की अहम भूमिका होगी। उन्होंने विश्वविद्यालय प्रशासन की सराहना करते हुए कहा कि इस संस्थान ने आयुष शिक्षा में गुणवत्ता और परंपरा का अद्भुत संगम प्रस्तुत किया है।
ये अधिकारी रहे मौजूद

इस मौके पर आयुष विश्वविद्यालय के डीन ऑफ एकेडमिक डॉ. जितेश कुमार पंडा, परीक्षा नियंत्रक डॉ. रणधीर सिंह,कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. सोमनाथ सचदेवा, एनआईटी कुरुक्षेत्र के निदेशक प्रो. बी.वी. रमना रेड्डी,भगत फूल सिंह महिला विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो.सुदेश छिक्कारा, सीसीआरएएस नई दिल्ली के डीजी डॉ. रवि नारायण आचार्य, नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ आयुर्वेद जयपुर (राजस्थान) के कुलपति प्रो. संजीव शर्मा, MARBIS,NCISM नई दिल्ली के सचिव डॉ. बीएल मेहरा, GRDAU होशियारपुर (पंजाब) के कुलपति प्रो. संजीव सूद, CBLU भिवानी की कुलपति प्रो. दीप्ति धरमानी, MHU करनाल की कुलपति डॉ. सुदेश मल्होत्रा, कुरुक्षेत्र एडीसी सोनू भट्ट, बीआर आंबेडकर सेंटर कुरुक्षेत्र के निदेशक डॉ. प्रीतम सिंह, भूपेंद्र धर्माणी, आयुष विवि के पूर्व कुलसचिव प्रो. अनिल शर्मा, पूर्व कुलसचिव प्रो. कृष्ण कुमार जाटियान, डीएओ डॉ. सुदेश जाटियान, सेवानिवृत्त प्रो. बलबीर सिंह, प्रिंसिपल डॉ. देवेंद्र खुराना, प्रो. आशु, प्रो. आशीष मेहता, प्रॉक्टर प्रो. राजा सिंगला, डॉ. राजेंद्र चौधरी, प्रो.पीसी मंगल, प्रो. शीतल सिंगला, प्रो. सीमा, प्रो. विदुषी, प्रो.अमित कटारिया, प्रो. शंभू दयाल शर्मा, उप कुलसचिव विकास शर्मा व सहायक कुलसचिव अतुल गोयल समेत अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहें।

इन 26 चिकित्सकों को मिला गोल्ड मेडल

श्री धन्वतरि आयुर्वेदिक कॉलेज चंडीगढ़ से बीएएमएस (सत्र 2018-19) की छात्रा दीपावली, जेआर किसान होमोपैथिक्स मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल रोहतक से बीएचएमएस (2018-19) की छात्रा कोमल, श्री कृष्ण राजकीय आयुर्वेदिक कॉलेज एवं अस्पताल कुरुक्षेत्र से एमडी कौमारभृत्य बाल रोग विभाग (2019-20) के छात्र शेषन सिंह, एमडी क्रिया शरीर विभाग (2019-20) की छात्रा मोनिका सिंह, एमडी पंचकर्म विभाग (2019-20) की छात्रा रवीना, एमडी रचना शरीर विभाग (2019-20) की छात्रा रंजलि, एमडी कौमारभृत्य बाल रोग (2019-20) की छात्रा मोनिका गुप्ता, एमडी कौमारभृत्य बाल रोग (2020-21) की छात्रा सुनैना, एमडी क्रिया शरीर (2020-21) की छात्रा पूजा रानी, एमडी पंचकर्म (2020-21) की छात्रा पूजा, एमडी पंचकर्म (2020-21) की छात्रा नैना सरोया, एमएस शल्य (2020-21) के छात्र प्रदीप शर्मा, एमडी कौमारभृत्य बाल रोग (2021-22) की छात्रा उपासना, एमडी क्रिया शरीर (2021-22) की छात्रा साक्षी, एमडी पंचकर्म (2021-22) की छात्रा अंजली कंबोज, एमडी पंचकर्म (2021-22) की छात्रा प्रियंका, एमएस शल्य (2021-22) की छात्रा गुरप्रीत कौर, एमडी आयुर्वेदिक समता एवं सिद्धांत की छात्रा मनप्रीत गहलावत, एमडी द्रव्यगुण विज्ञान की छात्रा रितु, एमडी रस शास्त्र एवं भैषज्य कल्पना की छात्रा सीमा, एमडी रोग निदान एवं विकृति विज्ञान की छात्रा गरिमा आनंद, एमडी स्वस्थवृत के छात्र प्रतीक, एमडी प्रसूति एवं स्त्री रोग की छात्रा सुधि कौशल, एमडी काय चिकित्सा की छात्रा प्रीति गहलावत, एमडी शालाक्य की छात्रा हिमांशी और एमडी अगद तंत्र की छात्रा तन्वी को गोल्ड मेडल पहनाकर सम्मानित किया गया।

Jarnail
Author: Jarnail

Jarnail Singh 9138203233 [email protected]

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