हरियाणा अनुसूचित जाति राजकीय अध्यापक संघ ने 20 अगस्त को करनाल में एक बड़ी रैली आयोजित की थी। हरियाणा के अनुसूचित जाति से संबंध रखने वाले लगभग सभी संगठन इस रैली में शामिल हुए थे। विशाल जनसमूह को देखकर लग रहा था कि हरियाणा सरकार पदोन्नति में आरक्षण दे देगी, लेकिन हुए वही डाक के तीन पात। मुझे पहले ही ये आभास था कि इससे कुछ भी नहीं होगा। केवल और केवल एक नौटंकी की जाएगी। इस रैली में मुख्यमंत्री के ओएसडी रैली स्थल पर ही ज्ञापन लेने आए थे। उन्होंने स्टेज पर चढ़ कर भारत माता का नारा भी लगाया था लेकिन मुझे अचानक बहुत गुस्सा आ गया और मैं अपने आपे से बाहर हो गया और उस भारत माता के नारे का मैंने विरोध कर दिया। कुछ साथियों को अच्छा लगा और शायद कुछ साथियों को बूरा भी लगा होगा। लेकिन मैंने विरोध इसलिए किया था कि हमारी स्टेज पर जय संविधान से शुरुआत होती तो अच्छा होता। दूसरी बात यह है कि भारत माता है तो पिता कौन……..? भारत एक देश है और उस दिन मैंने चिल्ला चिल्ला कर यही कहा था कि भारत माता नहीं है भारत एक देश है।भारत देश का सम्मान करना चाहिए।
हरियाणा अनुसूचित जाति राजकीय अध्यापक संघ के प्रदेश उपाध्यक्ष दलबीर राठी ने मंच से कैथल में चल रहे जन शिक्षा अधिकार मंच के धरने और मेरे खिलाफ दर्ज एफआईआर और राजद्रोह के मुकदमे पर भी प्रकाश डाला था, इसके लिए मैं धन्यवाद करता हूं समस्त हजरस संगठन और उसके सदस्यों और सहयोगी साथियों का। अब मैं महत्वपूर्ण बात यह कहना चाहता हूं कि हरियाणा के मुख्यमंत्री ने पदोन्नति में आरक्षण की घोषणा की। मैंने तभी कहा था कि यह चुनावी रेवड़ी है,तब भी कुछ साथियों को शायद बूरा लगा होगा, खैर उनसे माफी चाहता हूं,जिन साथियों को बूरा लगा होगा, आखिर मेरे अपने हैं।
28 अक्टूबर 2023 को पंचकूला के इंद्र धनुष आडोटोरियम में हरियाणा के अनुसूचित जाति के संगठनों द्वारा मुख्यमंत्री का स्वागत किया गया। स्वागत इसलिए किया गया कि मुख्यमंत्री महोदय ने पदोन्नति में आरक्षण देने की घोषणा की थी। लेकिन मुझे उनकी इस घोषणा पर पहले से ही शक था कि यह घोषणा पूरी होने वाली नहीं है, क्योंकि इस घोषणा से मुख्यमंत्री हरियाणा सरकार श्री मनोहर लाल खट्टर एक तीर से कई निशाने साधने की फिराक में थे।लेकिन सामान्य वर्ग के कर्मचारी साथियों और संगठनों द्वारा इतना विरोध इसका अबकी बार नहीं किया गया,हो सकता है कि अंदरखाते वे इसके विरोध में हो और कोर्ट में वे जरुर गए है, कोर्ट में कई बार बहुत से लोग सरकारों के इशारे पर भी जाते रहे है, और आगे भी जाते रहेंगे।
इंद्र धनुष आडोटोरियम पंचकूला में मुख्यमंत्री हरियाणा सरकार ने महर्षि वाल्मीकि जयंती के अवसर पर पदोन्नति में आरक्षण की बात को फिर दोहराया और अपने शब्दों से उन्होंने इशारा भी कर दिया कि कुछ लोग इसके विरोध में कोर्ट में जा सकते है। मैं तभी समझ गया था कि मुख्यमंत्री महोदय हमारे साथियों को कुछ भी देना नहीं चाहते है वे बल्कि हमारे साथियों का इस्तेमाल करना चाहते है। क्योंकि इसका सही समाधान है रोस्टर प्रणाली का सही और सटीक प्रयोग। लेकिन हरियाणा के किसी भी विभाग में रोस्टर रजिस्टर ठीक प्रकार से मेंटेन ही नहीं है और जब तक रोस्टर रजिस्टर मेनटेन नहीं होगा, तब तक यह समस्या बनी रहेगी। हमारे साथियों को इस बात को समझ लेना चाहिए। दूसरी बात यह है कि पिछले 9 वर्षों में हरियाणा सरकार ने पदोन्नति में आरक्षण देने के कोई भी प्रयास नहीं किए हैं। अब सवाल यह है कि वे अभी इस प्रकार की घोषणाएं क्यों कर रहे है ? अब इन घोषणाओं के माध्यम से वे हरियाणा की नब्ज टटोलना चाहते हैं कि लोग क्या चाहते है ? इसके माध्यम से वे चाहते थे कि अनुसूचित जाति वर्सिज अन्य बनेगा और इसका हमें चुनाव में लाभ मिलेगा, देना कुछ भी नहीं चाहते थे। इसको आज हमारे साथियों को समझने की जरूरत है। यह मसला 1950,51,52 से ही खड़ा हो गया था, इसके बाद लगातार जारी है।
1997,98,99,2000 में भी यह मसला काफी गर्म रहा, उदीतराज ( रामराज) ने इसको लेकर कई बड़ी रैलियां की। कुछ मुद्दों पर सफलता भी मिली लेकिन इसका सम्पूर्ण और वास्तविक हल आज तक नहीं निकला। अन्य राज्यों में भी इस प्रकार की समस्याएं बरकरार है। अनुसूचित जाति के कर्मचारी साथी संगठन बनाते हैं या पहले से ही बने हुए हैं। इन संगठनों के माध्यम से साथियों से चंदा इकट्ठा किया जाता है,कोर्टो और वकीलों के चक्कर दर चक्कर लगाए जाते हैं, हल निकलता नहीं है। मोटी फीसें वकीलों को दी जाती है, सरकारों द्वारा पक्ष में घोषणाएं की जाती है। पत्र भी जारी हो जाते हैं फिर इनके विरोध में सुप्रीम कोर्ट या हाई कोर्ट में रिट डाली जाती है और सालों साल इनका कोई हल नहीं निकलता, सिर्फ हमें लटकाया जाता है। हमें इसके और रास्ते तलाशने चाहिए।
और क्या रास्ते हो सकते हैं,उन पर विचार करें। एक रास्ता तो यह हो सकता है कि हम ओबीसी वर्ग को ज्यादा से ज्यादा तैयार करें, उन्हें बताएं कि पदोन्नति में आरक्षण का हक उनका भी बनता है। जब उनको इसकी जानकारी होगी तो वो आपके साथ खड़े होंगे। बहुत सारे साथी इस पर अपनी नकारात्मक प्रतिक्रिया देंगे, लेकिन इस नकारात्मक प्रतिक्रिया से समाधान नहीं होगा। समाधान सही करने से ही होगा और सही यह है कि ओबीसी को पदोन्नति में प्रतिनिधित्व दो यह उनका संवैधानिक अधिकार है। इस मांग को उठाने से ओबीसी और एस सी,एस टी में व्यापक एकता भी बनेगी।
दूसरी बात यह है कि नौकरियों की संख्या में बढ़ोतरी करवाना। क्योंकि दूसरे देशों में जहां पर नौकरियों की संख्या हमसे ज्यादा है। प्रतिशत के हिसाब से बहुत से देश ऐसे हैं जिनमें नौकरियों की संख्या में उनका प्रतिशत हमसे ज्यादा है। मान लीजिए कि भारत में 2 प्रतिशत लोग ही सरकारी सेवाओं में है तो दूसरे कई देशों में यह आंकड़ा 8,12,38,42 प्रतिशत तक भी है, स्वीडन, डेनमार्क और नार्वे में तो यह और अच्छी स्थिति बताई जा रही है। हमें इस संबंध में अधिक से अधिक आंकड़े जुटाकर समाज और देश के सामने लाने चाहिए। इन आंकड़ों से सामान्य वर्ग के लोग भी हमारे समर्थन में आएंगे।
निजीकरण के विरोध के लिए एक बड़ा आंदोलन तैयार करना, निजीकरण से रोजगार के अवसर खत्म हो रहें हैं। हमें जनता के बीच आपसी सहयोग समन्वय स्थापित करते हुए व्यापक एकता और जन लामबंदी पैदा करनी चाहिए और जनता को निजीकरण के विरोध में खड़ा करना चाहिए, इससे निजीकरण रुकेगा और रोजगार के अवसर बढ़ेंगे।
खाली पड़े पदों पर भर्तियों के लिए दबाव बनाना, पूरे देश में लाखों की संख्या में खाली पड़े पदों पर स्थाई भर्तियों के लिए दबाव निर्माण करना चाहिए। इसके लिए सभी बेरोजगार, नौजवान, छात्र भी हमारे समर्थन में आ सकते है। लगभग 45 लाख युवाओं के लिए रोजगार के अवसर पैदा करना इस देश के लिए मुश्किल काम नहीं है। भारत के संविधान का पालन करते हुए यदि नीतियां जनहित और देशहित में निर्माण की जाए तो यह कार्य आसानी से हो सकता है। हमें इस ओर ध्यान देना चाहिए।
संविधान के पक्ष में माहौल पैदा करना और संविधान के अनुसार नीतियां निर्माण करवाना। भारत का संविधान भारत की सभी समस्याओं का हल है यदि भारत का संविधान पूर्ण रूप से और ईमानदारी से लागू कर दिया जाए तो देश की तमाम समस्याएं हल हो सकती है, और मेरा पक्का विश्वास है कि हल हो जाएगी। इसके पक्ष में जनता को जागरूक करना और लामबंद करना होगा। बड़े पैमाने पर जब पब्लिक ओपिनियन हमारे पक्ष में होगा यह कार्य तभी संभव होगा। संविधान हमारी जन्म से लेकर मृत्यु तक सुरक्षा करता है, हमें भी भारत के संविधान की सुरक्षा करनी चाहिए। भारत के संविधान ने हमें केवल आरक्षण ही नहीं दिया है बल्कि और बहुत से अधिकार दिए हैं,उन अधिकारों को हमें समझना चाहिए।
ओबीसी पर लगाया गया क्रीमीलेयर असंवैधानिक है। हमें इस बात का अधिक से अधिक प्रचार प्रसार करना चाहिए कि क्रीमीलेयर असंवैधानिक है। क्योंकि भारत के संविधान में क्रीमीलेयर शब्द कहीं पर भी नहीं है, लेकिन इसके बावजूद क्रीमीलेयर हम पर थोप दिया गया है, इसके विरोध की व्यवस्थित योजना हमें बनानी चाहिए।
जाति आधारित जनगणना और संख्या के अनुपात में उचित प्रतिनिधित्व के लिए दबाव, हमें जाति आधारित जनगणना से क्या क्या लाभ है। इस पर अधिक से अधिक सभा, संगोष्ठी, सेमिनार आयोजित करने चाहिए, लोगों को बताना चाहिए कि जाति आधारित जनगणना जरुरी क्यों है ? किसी भी देश के लिए जनगणना के क्या क्या लाभ है ? जनगणना के सही आंकड़े आने से उचित प्रतिनिधित्व की मांग बढ़ेगी और सरकारों को यह संख्या के अनुपात में देना पड़ेगा।
संविधान में आरक्षण के लिए 50 प्रतिशत की सीमा कहीं पर भी नहीं है लेकिन इसके बावजूद यह क्यों लगाई गई ? इसके पीछे असली साजिश क्या थी, इसका पर्दाफाश हमें करना चाहिए। ओबीसी वर्ग को यह समझ में आएगा और वे आपके साथ खड़े होंगे तथा अपना हक अधिकार मांगेंगे। वो जरुर सोचेंगे कि आर्थिक आधार पर 10 प्रतिशत आरक्षण क्यों दे दिया गया, जिसका संविधान में कहीं पर भी कोई प्रावधान नहीं है। आरक्षण हिस्सेदारी का मसला है लेकिन बहुत से लोगों ने इसको गरीबी मिटाने का मामला समझ लिया है, इस अज्ञानता को दूर करना होगा।
उपरोक्त यह सभी कार्य एक मजबूत संगठन द्वारा ही किए जा सकते हैं। हमें इसके लिए एक बेहद अनुशासित, व्यवस्थित संगठन निर्माण करना होगा, प्रशिक्षित और नैतिक, समर्पित साथियों का संगठन ही इसको कर सकता है। हमें अपनी जाति, धर्म, सम्प्रदाय, क्षेत्र और भाषा की पहचान को छोड़कर एक पहचान के नीचे इकट्ठा होना होगा। हमारी चार बिंदुओं पर आसानी से सहमति बन सकती है।
1.संविधान और संविधानवाद
2.फुले अम्बेडकरी विचारधारा
3.मूलनिवासी पहचान
4.लोकतांत्रिक पद्धति और संस्थागत नेतृत्व
इन चार बिंदुओं पर सहमति बनाकर हम आगे बढ़ सकतें और बाकि के मुद्दों पर बाद में या धीरे धीरे सहमति बनाई जा सकती है।
मेरा आप सभी को सुझाव है कि आप मौजूदा सरकार से मांगना बंद करों क्योंकि वह आपको कुछ भी देना नहीं चाहती है, यदि वह देना चाहती थी तो पिछले 9 वर्षों में दे चुकी होती। इसलिए इनके झांसों से बचना चाहिए। जब आप एक मजबूत, व्यवस्थित, लक्ष्यभेदी और लक्ष्य प्रेरित संगठन निर्माण करोंगे तो वो आपको बिना मांगे ही थाली में परोस कर देंगे अन्यथा आप लगे रहना, इनका स्वागत करते रहना, इससे हासिल कुछ नहीं होगा। ये आरक्षण देंगे भी नहीं और खत्म भी नहीं करेंगे, इसके नाम पर सामान्य वर्ग और हमें लड़ाते रहेंगे और आरक्षण को व्यवहार में लगभग इन्होने खत्म भी कर दिया है, इसलिए हमें स्वयं रोजगार की दिशा में भी सोचना चाहिए और अपने कदम बढ़ाने चाहिए। इस दिशा में और भी बहुत सी बातें हैं जिनपर आप चर्चा करेंगे और इस चर्चा को आगे बढ़ाएंगे।
- सुरेश द्रविड़

Author: Jarnail
Jarnail Singh 9138203233 editor.gajabharyananews@gmail.com