यमुनानगर । श्री हंस ज्योति मंदिर, जगाधरी में मानव आंदोलन सेवा समिति द्वारा एक सप्ताह के सत्संग कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जिसमें सद्गुरुदेव श्री सतपाल जी महाराज के शिष्यों – आत्म अनुभवी महात्मा चौधरी जी, महात्मा गरिमा बाई जी और महात्मा शिखा बाई जी ने भक्तों को अपने प्रवचनों और भजनों से आनंदित कर दिया।

आश्रम प्रभारी महात्मा चतुर्वेदी बाई जी ने गणेश चतुर्थी और गणेश महोत्सव के महत्व पर प्रकाश डाला और सभी को इसकी शुभकामनाएं दीं। उन्होंने गोस्वामी तुलसीदास जी द्वारा रचित रामायण की चौपाई, “महामंत्र जोइ जपत महेसू। कासीं मुकुति हेतू उपदेसू।।” का उल्लेख करते हुए बताया कि स्वयं भगवान शंकर जिस नाम का जप करते हैं और काशी में मुक्ति के लिए उसका उपदेश देते हैं, उसी नाम की महिमा को गणेश जी ने जाना, जिसके कारण उनकी प्रथम पूजा होती है। उन्होंने समझाया कि वह नाम 52 अक्षरों से परे है और हर प्राणी के भीतर मौजूद है। उन्होंने कहा कि उस वास्तविक नाम का ज्ञान समय के महापुरुषों से ही प्राप्त होता है।
इस अवसर पर महात्मा गरिमा बाई जी और महात्मा शिखा बाई जी ने भी अपने सत्संग और भजनों से उपस्थित भक्तों को मंत्रमुग्ध कर दिया।
प्रेस सचिव पवन गोयल ने बताया कि आगामी 14 सितंबर को श्री हंस ज्योति मंदिर, जगाधरी में सद्गुरुदेव श्री सतपाल जी महाराज के जन्मोत्सव के उपलक्ष्य में एक विशाल सद्भावना सम्मेलन और भंडारे का आयोजन किया जा रहा है, जिसमें सभी सज्जन सादर आमंत्रित हैं।
सत्संग में पवन गोयल, अमित भारती, राहुल चौधरी, डॉक्टर मनीष वर्मा, प्रदीप, कोमल, बाला देवी, और मीना देवी सहित कई भक्त उपस्थित थे।

Author: Jarnail
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