क्रीमी लेयर क्या है?
‘क्रीमी लेयर’ का सिद्धांत मूल रूप से अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) के लिए आरक्षण में लागू किया गया था। इसका मतलब है कि OBC समुदाय के जो लोग सामाजिक, आर्थिक और शैक्षणिक रूप से उन्नत हो चुके हैं, उन्हें आरक्षण के लाभ से बाहर रखा जाए। इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि आरक्षण का लाभ वास्तव में उन लोगों तक पहुँचे, जिन्हें इसकी सबसे अधिक आवश्यकता है।
SC/ST आरक्षण में ‘क्रीमी लेयर’ की मांग
पिछले कुछ वर्षों से यह बहस चल रही है कि क्या SC और ST समुदाय के लिए भी ‘क्रीमी लेयर’ का सिद्धांत लागू किया जाना चाहिए। इस तर्क के पीछे यह विचार है कि आरक्षण का लाभ अक्सर उन्हीं परिवारों तक सीमित रह जाता है जो पहले से ही सामाजिक और आर्थिक रूप से सशक्त हो चुके हैं। इस कारण, सबसे अधिक वंचित लोग आरक्षण के लाभ से वंचित रह जाते हैं। यह स्थिति आरक्षण के मूल उद्देश्य को कमजोर करती है, जो कि सामाजिक न्याय और पिछड़ेपन को दूर करना है।
सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई और केंद्र सरकार का रुख
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले पर सुनवाई करने की सहमति दे दी है। यह सुनवाई 10 अक्टूबर को होनी है। अदालत ने इस मुद्दे की संवेदनशीलता को देखते हुए केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया है और उनका पक्ष जानना चाहा है।
दूसरी ओर, केंद्र सरकार ने अपना रुख स्पष्ट करते हुए कहा है कि वह SC/ST आरक्षण में ‘क्रीमी लेयर’ लागू करने के पक्ष में नहीं है। अगस्त 2024 में, केंद्रीय कैबिनेट ने घोषणा की थी कि डॉ. बी.आर. अंबेडकर द्वारा बनाए गए संविधान में SC और ST आरक्षण में ‘क्रीमी लेयर’ का कोई प्रावधान नहीं है। सरकार का मानना है कि वह संविधान के प्रति कटिबद्ध है और इस तरह का कोई बदलाव नहीं किया जाएगा। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने पहले भी राज्यों को SC/ST में उप-वर्गीकरण करने और क्रीमी लेयर की पहचान करने की सलाह दी थी।
समर्थन और विरोध के तर्क
इस मुद्दे पर पक्ष और विपक्ष दोनों तरफ से मजबूत तर्क हैं।
पक्ष में तर्क:
यह सुनिश्चित होगा कि आरक्षण का लाभ सबसे जरूरतमंद लोगों तक पहुँचे।
यह आरक्षण प्रणाली को और अधिक न्यायसंगत बनाएगा।
यह एक ही समुदाय के भीतर असमानता को कम करने में मदद करेगा।
यह योग्यता और आवश्यकता के बीच संतुलन स्थापित करेगा।
विपक्ष में तर्क:
SC/ST के लिए आरक्षण का आधार सामाजिक भेदभाव है, न कि केवल आर्थिक स्थिति।
‘क्रीमी लेयर’ लागू करने से यह मूल आधार कमजोर हो सकता है।
कुछ संगठनों का मानना है कि यह आरक्षण के उद्देश्य को ही कमजोर करेगा और समाज को विभाजित करेगा।
कई लोगों का कहना है कि OBC के ‘क्रीमी लेयर’ के मानदंड SC/ST पर लागू नहीं किए जा सकते।
यह मामला आरक्षण नीति के भविष्य को प्रभावित कर सकता है और इसका परिणाम राजनीतिक और सामाजिक रूप से दूरगामी हो सकता है।

Author: Jarnail
Jarnail Singh 9138203233 editor.gajabharyananews@gmail.com